नज़्म है कोई


नज़्म कोई पढ़ने का दिल जब करे
यूं ही तेरे चेहरे को पढ़ लेते हैं हम।
तन्हां हैं कितने न तुझे ये खबर
हर शाम तेरी यादों के हो लेते हैं हम।
शिकवा,शिकायतों का न दौर अब रहा
तेरे पहलू में कोई और,
ज़ख्म जज़्ब कर लेते हैं हम।
यूँ तो हैं बिखरे हर मोड़ पर कदम
जहाँ छाप तेरी,अरमां सजा देते हैं हम।
अब न  कसक कोई,न कोई गुमां
है यही ज़िंदगी,बस जी लेते हैं हम।
हाँ फ़िर भी कभी जब दिल न लगा
गहरी आँखों में तुझको,ढूढ़ं लेते हैं हम।
नज़्म कोई पढ़ने का दिल जब करे
यूं ही तेरे चेहरे को पढ़ लेते हैं हम…

25 टिप्पणियां

Filed under कविता

25 responses to “नज़्म है कोई

  1. नज़्म कोई पढ़ने का दिल जब करे
    यूं ही तेरे चेहरे को पढ़ लेते हैं हम…kya baat hai bohut hi sundar rachna hai

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  2. चेहरे को देख
    हाल-ऐ-दिल
    जान लेते हो तुम
    फिर क्यूं
    सताते हो तुम ?
    waah waah 🙂

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  3. abhishek

    aap bahut accha likhti hai…aapki saari rachnao ko ab mai padh chuka hun…please continue on your creative journey!

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  4. “हर शाम तेरी यादों के हो लेते हैं हम |” ….that line is very apt and cute 🙂

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  5. कुछ के चेहरों में तो पूरे पूरे ग्रन्थ बसते हैं।

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  6. नज़्म कोई पढ़ने का दिल जब करे
    यूं ही तेरे चेहरे को पढ़ लेते हैं हम।

    बहुत ही नाज़ुक सा ख़याल… बेहद ख़ूबसूरत रचना

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  7. सच है, नज्म लिखने का मन होता है तो उसका चेहरा याद आता है। मानो सारा कवित्व वहीं जा ठहर गया हो!

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  8. Dil ko chhoone ki takat hai aapki Kavita mein. Keep it up…..

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  9. Awesome poem.. just love it… absolutely expresses what I feel.. nice one.. 🙂

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  10. Lucky you . When we want to read a poem then we come to your blog 🙂
    Beautiful…just wish the other one could say “Chehra kya dekhte hoo..dil me uttar ke dekho na…”

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  11. हर शाम तेरी यादों के हो लेते हैं हम।

    excellent..

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  12. I have no words to express how beautiful this poem is. Just heavenly.

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  13. आपकी यह नज्म पढकर स्वर्गीय जगजीत सिंग और चित्र सिंग जी की गजल का शेर याद आ गया |
    ‘तबियत अपनी घबराती है , जब सुमसान रातोंमे ,
    हम ऐसे मे , तेरी यादों की चादर तान लेते है |
    बहोत पहले से , तेरी कदमोंकी आहट जान लेते है ,
    तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते है | ‘
    बहोत खूब | जियो |

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