सोंधी माटी की खुशबू सा
होता प्यारा बचपन
नई अदाएं नये तरीके
अनोखा होता हर दिन
फूलों की खुशबू मंद बयार
चिड़ियों की कलकल है अपार
मधु स्मृतियों के बीच पनपता
हर पल चलता बचपन
कभी शैतानी कभी शिकायत
कभी हंसी का मधुबन
मासूम अदाएँ हर पल करती
नव जीवन-नव दर्पण
लाख मुसीबत लाख हो उलझन
पल में यूँ है गायब होती
जब भी चाहे आजमा लो
बस पढ़ लो ये बाल मन
चाचा नेहरू ने भी पढ़ा था
है अद्भुत ये बचपन
बाल दिवस पर हम सब करते
हैं उनको श्रद्धेय नमन…
बाल-दिवस पर यह कविता हिंदी मासिक पत्रिका ‘सादर इंडिया’के नवंबर अंक में प्रकाशित हुई है।
बचपन सबसे प्यारा अपना,
मन में मन का प्यारा सपना।
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aapkee sundar kavitaa mein
laao main bhee kuchh jod doon
badaa chatur hotaa hai
baal sulabh man
maa daante to pitaa kee god mein
pitaa daante to maa kee god mein
donon daante to dada daadi kee god mein
ja chhuptaa hai
meethee baaton se manchaahi
ichhaa pooree kartaa hai
badaa hotaa chanchal hotaa hai bachpan
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This is nice poem..
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बचपन स्मृतियों की किताब का वह पन्ना है जिसे बार बार पढ़ने को मन करता
है | आपकी लेखनी ने उन मधुर क्षणों को अत्यंत कोमलता के संग सहलाया है | अहसासों को इसी समग्रता और संपूर्णता के साथ काव्य धारा में प्रवाहित करते रहें ,इसी मंगल कामना के संग अनेकानेक शुभेच्छा
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Indu ji is kavita ko CBSE ya kisi bhi board ko bhejiye bohut sundar kavita hai..humare hindi pathya pustako ko aisi kavitayon ki bahut avashyakta hai. aap bohut achcha likhti hai par is kavita ki mithaas hi kuch aur hai.
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बाल दिवस आता है, और हम जैसे लोग अपना बचपन याद कर उसे वापस लाने के तरीके तलाशने का एक प्रयास करते हैं।
साल दर साल! 😦
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sweet poem
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बेहतर…
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आपके कविताने मुझे मेरा बचपन याद दिला दिया | सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद |
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wow… great post induravisinghji
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Simply superb 🙂
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Congratulations!!! It’s a Beautiful poem and you truly deserve to be published:)
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true musibaten kitni hi kyun na ho bachcpan use bhula deta hai
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सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद
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gr8
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सोंधी माटी की खुशबू सा, होता प्यारा बचपन.. बहुत सुन्दर उपमा दी है बचपन की इंदु जी… बचपन तो सचमुच बहुत प्यारा होता है… एक बहुत पुराने गाने की पंक्तियाँ याद आ गयीं… बचपन के दिन भी क्या दिन थे… हँसते गाते वो पल-छिन थे… …
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good one
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इंदु जी अभिवादन और धन्यवाद . बहुत सुन्दर रचना ..बचपना न्यारा होता ही है
.भ्रमर का दर्द और दर्पण व् हमारे अन्य ब्लॉग में आप का हार्दिक अभिनन्दन है ….अपना स्नेह बनाये रखें सुझाव और प्रोत्साहन देते रहें –
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
मधु स्मृतियों के बीच पनपता
हर पल चलता बचपन
कभी शैतानी कभी शिकायत
कभी हंसी का मधुबन
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very nice poem
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दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 14/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
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bachapan to bachpan hota hai,smritio ka sundar jharoka,sundar evm anubhutio ka ek nayab khajan
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.बालपन को दर्शाती हुई सुन्दर रचना इंदु जी ..
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