इश्क़ की तपिश को इनमें भरने दो,
बात आँखों से आँखों को करने दो।।
क्या दिल में छिपी है पता तो चले,
ज़रा गहरे में तो दिल के उतरने दो।।
खोये तुझमे हैं ऐसे न जहाँ की ख़बर,
टूटकर आज बाज़ुओं में बिखरने दो।।
जब ख़ुदा ने ही बख्शी भँवर इश्क़ की,
डूबकर ही फ़िर आज इसमें तरने दो।।
हर दर्द की इश्क़ जब दवा बन गया,
सारे ज़ख्मों की इसे पीर हरने दो।।
जान ले तू भी ‘इंदु’ इश्क़ है इक इबादत,
ख़ुदा की इस नियामत को सँवरने दो।।
बात आँखों से आँखों को करने दो…
Filed under कविता
बहुत सुन्दर इंदु जी…
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दर्द की इश्क़ जब दवा बन गया,
सारे ज़ख्मों को इसमें पिरोने दो।।
क्या बात है ! बहुत बढ़िया ! शुक्रिया, इस अच्छी ग़ज़ल के लिए !
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Bahut khub Indu ji…..
Eyes r the window of Soul…
Let them talk….let them meet…
Lord Shiva bless u……
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आपने लिखा….
हमने पढ़ा….और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ….पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ….
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
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Beautiful…
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बहुत खूब इंदु जी ….और इश्क़ को जनून के पहलूँ में समां जाने दो …
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अपने हिस्से की मधु भरने दो
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what language u need when you hav eyes 🙂
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वाह बहुत खूब
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Acchi hai…
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बहुत खूबसूरत
हर शे’र लाज़वाब है।
जान ले तू भी ‘इंदु’ इश्क़ है इक इबादत,
ख़ुदा की इस नियामत को सँवरने दो।।
…… बहुत ही ख़ूब
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जब ख़ुदा ने ही बख्शी भँवर इश्क़ की,
bahut khoob
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