बात आँखों से आँखों को करने दो…


इश्क़ की तपिश को इनमें भरने दो,
बात आँखों से आँखों को करने दो।।
क्या दिल में छिपी है पता तो चले,
ज़रा गहरे में तो दिल के उतरने दो।।
खोये तुझमे हैं ऐसे न जहाँ की ख़बर,
टूटकर आज बाज़ुओं में बिखरने दो।।
जब ख़ुदा ने ही बख्शी भँवर इश्क़ की,
डूबकर ही फ़िर आज इसमें तरने दो।।
हर दर्द की इश्क़ जब दवा बन गया,
सारे ज़ख्मों की इसे पीर हरने दो।।
जान ले तू भी ‘इंदु’ इश्क़ है इक इबादत,
ख़ुदा की इस नियामत को सँवरने दो।।

12 टिप्पणियां

Filed under कविता

12 responses to “बात आँखों से आँखों को करने दो…

  1. डॉ. धीरेन्द्र प्रताप सिंह

    दर्द की इश्क़ जब दवा बन गया,
    सारे ज़ख्मों को इसमें पिरोने दो।।

    क्या बात है ! बहुत बढ़िया ! शुक्रिया, इस अच्छी ग़ज़ल के लिए !

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  2. Raj

    Bahut khub Indu ji…..
    Eyes r the window of Soul…
    Let them talk….let them meet…
    Lord Shiva bless u……

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  3. आपने लिखा….
    हमने पढ़ा….और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ….पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ….
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. suneel

    बहुत खूब इंदु जी ….और इश्क़ को जनून के पहलूँ में समां जाने दो …

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  5. abhi786786

    बहुत खूबसूरत
    हर शे’र लाज़वाब है।

    जान ले तू भी ‘इंदु’ इश्क़ है इक इबादत,
    ख़ुदा की इस नियामत को सँवरने दो।।
    …… बहुत ही ख़ूब

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  6. Kusum K

    जब ख़ुदा ने ही बख्शी भँवर इश्क़ की,
    bahut khoob

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