मन वसंत


चाह नहीं कोई तितलियों से रंग की
अपने लिए रंग
मैं खुद ही बनाऊँगी
नहीं चाहिए किसी चिड़िया से पंख
उड़ना नहीं है
चलना है मुझे बहुत
क्यों खिलूँ मैं किसी पुष्प की तरह
मेरी जड़ की खुशबू ही
मेरी पहचान है
क्यों लहराऊँ किसी नदी की तरह
मेरा हँसना
बस मेरी तरह है
क्यों करूँ इंतज़ार किसी वसंत का मैं
जब साथ हों अपने
मेरा मन वसंत है।

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