गाँव हूँ मालूम है मुझे फिर भी
चर्चा सब जगह मेरी
मै खो गया हूँ ये भी कहा किसी ने
बदल गया हूँ, ये भी।
मुझे, मेरी पहचान को धूमिल
किया जा रहा है
गाँव को विषय बना दिया है आज
मुझ पर चर्चा मेरी चिंता
सबसे बड़ा आज का मुद्दा।
न आना है किसी को मेरे पास
न जानने हैं मेरे जज़्बात
बस ! करनी चर्चा ख़ास।
मेरी तरक्की मेरी खामियाँ
मुझ पर सरकारी खर्चे
सब मुझ पर कुर्बान
कितना क्या चाहिए
या कितना है मिला
न किसी को इसकी कोई पहचान।
कविता लिखो मुझ पर
कहानी भी
उपन्यास से तो भरा हूँ मैं
लिखने को हर किसी को
बस यूँ ही मिला हूँ मैं
जैसे समाज में कुछ और
अब शेष ही न हो।
महानगर मुझ पर गर्व करते
अपनी चमकीली गोष्ठियों में
थोथली बातों से अनभिज्ञ नहीं मैं
अब बस भी करो
गाँव था अब भी वहीँ हूँ
बेवजह अपनी खामियाँ
भरने को
न मुझे उजागर करो
बदला मैं नहीं
बदल रहे हो तुम मुझे
जैसा हूँ रहने दो, हाँ !
इतनी ही फुर्सत है गर तुम्हे
लिखो कुछ खुद पर कभी
गर लिख सको तो …
गाँव हूँ मालूम है मुझे…
Filed under कविता
बदला मैं नहीं
बदल रहे हो तुम मुझे
जैसा हूँ रहने दो, हाँ !
सच्ची बात।
हम ही लोग गाँव को शहर जैसा बना कर उसकी सूरत बिगाड़ रहे हैं।
सादर
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जो लगे, वो करो, पर भला कर दो, मैं खो रहा हूँ।
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बहुत खूब | बढ़िया लेखन | सुन्दर अभिव्यक्ति विचारों की | सादर
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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लिखो कुछ खुद पर कभी
गर लिख सको तो …
Very nice …. aaj yun bhi bas charcha hi jada hoti hai kisi bhi mudde par, sarthak kuch bhi nahin hota …
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Very well said. Beautiful !!!
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सच है गाँव तो आज भी वैसे ही हैं …
बाकी सब कुछ बदल गया समय की साथ … अर्थ भरी रचना …
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013) के “http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html”> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ…सादर!
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लिखो कुछ खुद पर कभी
गर लिख सको तो …
सही कहा आपने ,बहुत अच्छा प्रस्तुति !
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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बहुत सुंदर….वाकई गांव बदल रहा है अब..
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Gaon umradaraj parents sa ho gaya hai, charcha sab karte hain, par dhyan koi nahi deta…!!
aap bethareen likhte ho..
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gaav badal gae sach hai .nice writing
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लिखो कुछ खुद पर कभी
गर लिख सको तो …
बहुत सही कहा आपने ……सशक्त भाव
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मै खो गया हूँ ये भी कहा किसी ने
बदल गया हूँ, ये भी।
मुझे, मेरी पहचान को धूमिल
किया जा रहा है
…………………..
बदल रहे हो तुम मुझे
जैसा हूँ रहने दो, हाँ !
इतनी ही फुर्सत है गर तुम्हे
लिखो कुछ खुद पर कभी
गर लिख सको तो …
कितनी सही बात कह डाली तुमने ………. वाकई अब गावं की क्या पहचान रह गई …………. कह पाना मुश्किल है………………. पर आज भी गावं की चाह मन के किस कोने में सबको है
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