तुझे याद करते -करते कोई ग़ज़ल मैं लिखूँ
तेरे साथ गुज़रा लम्हा हर एक पल मैं लिखूँ.
ये दौर किस तरह का,कौन बताएगा यहाँ
हर शख्स की बदलती हुई शकल मैं लिखूँ।
इक रोज़ तो मिला था वो आप ही खुद से
उस रोज़ को खोजकर फिर धवल मैं लिखूँ।
मजहब तो कहता प्यार कर पर सुने है कौन
इस प्यार की बात पर कुछ नवल मैं लिखूँ।
तेरी याद जब भी आए भीग जाएँ मेरी ग़ज़लें,
ज़माने से छुपाने को संभल-संभल मैं लिखूँ।
ये दौर किस तरह का,कौन बताएगा यहाँ
हर शख्स की बदलती हुई शकल मैं लिखूँ।
लाजवाब!
सादर
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद .
पसंद करेंपसंद करें
जो भी लिखूँ, भाव धवल मैं लिखूँ..
पसंद करेंपसंद करें
आभार।
पसंद करेंपसंद करें
बहुत सुन्दर गजल इंदु जी . भाव बहुत सुन्दर लिए आपने , एक गुजारिश है
आपने बहर कौन सी ली है , एक दो शेर बेबहर लगे , अन्यथा न लें
सस्नेह
शशि
पसंद करेंपसंद करें
आपकी यह रचना आज गुरुवार (11-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद …
पसंद करेंपसंद करें
Inspired and written well.
पसंद करेंपसंद करें
Thanks a lot..
पसंद करेंपसंद करें
बहुत अच्छी रचना !!!
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद …
पसंद करेंपसंद करें
Maan ke vichaar bahut hi achhe tarike se vayakt kiye hai.
पसंद करेंपसंद करें
Thanks a lot …
पसंद करेंपसंद करें
shabdon ka yah taanaa baanaa..jeevan ka sangeet pooraana
naval bhaw mangalmayi chahat, gajal sahi me bahut suhana
Sadar,
Upendra Dubey
पसंद करेंपसंद करें
Bahut-Bahut Dhanywaad ,Upendra ji …
पसंद करेंपसंद करें
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
पसंद करेंपसंद करें
मजहब तो कहता प्यार कर पर सुने है कौन
इस प्यार की बात पर कुछ नवल मैं लिखूँ।..
कौन सुनता है आज मजहब की बातें .. वो तो बस दुश्मनी के लिए रह गया है ….
पसंद करेंपसंद करें
lajawaab bhav……तेरी याद जब भी आए भीग जाएँ मेरी ग़ज़लें,
ज़माने से छुपाने को संभल-संभल मैं लिखूँ।
पसंद करेंपसंद करें
brilliant !!!
पसंद करेंपसंद करें
यह हुई न बात
इंदू जी …!
आपकी प्रश्नालीटी
के अनुरूप …!
पसंद करेंपसंद करें
तेरे साथ गुज़रा लम्हा हर एक पल मैं लिखूँ.
Bahut hi pyaara bhaaw, padhkar accha lagaa..
पसंद करेंपसंद करें
आपने लिखा….हमने पढ़ा….
और लोग भी पढ़ें; …इसलिए शनिवार 13/07/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी…. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ….
लिंक में आपका स्वागत है ……….धन्यवाद!
पसंद करेंपसंद करें
whatever you feel like..
just keep writing 🙂
पसंद करेंपसंद करें
Thanks a lot 🙂
पसंद करेंपसंद करें
ये दौर किस तरह का,कौन बताएगा यहाँ
हर शख्स की बदलती हुई शकल मैं लिखूँ।
bahut sundar likha hai Indu !
पसंद करेंपसंद करें
Thanks a lot !
पसंद करेंपसंद करें
wah ma’am…meri tareef kubool kare 🙂
पसंद करेंपसंद करें
Shukriya 🙂
पसंद करेंपसंद करें
आशाएँ – अरमान – उम्मीदें सिर्फ तुम पे लगी है…।
मेरे दिल की रुकी ये धडकनें तेरे नाम से चलने लगी है …..! कमलेश रविशंकर रावल
पसंद करेंपसंद करें
Bahut khoob !
पसंद करेंपसंद करें
आप के संग
सजाए है सपने
रंगबिरंगी …
पसंद करेंपसंद करें
इक रोज़ तो मिला था वो आप ही खुद से
उस रोज़ को खोजकर फिर धवल मैं लिखूँ।
बहुत सुन्दर….
अनु
पसंद करेंपसंद करें
Dhanywaad …
पसंद करेंपसंद करें
kaafi umda rachna indu mam…
mujhe sabse achi pankti ye lagi ;
” तेरी याद जब भी आए भीग जाएँ मेरी ग़ज़लें,
ज़माने से छुपाने को संभल-संभल मैं लिखूँ। ”
bahut achi kavita… 🙂
पसंद करेंपसंद करें
Thank you Ashish 🙂
पसंद करेंपसंद करें
सुंदर भाव…
यही तोसंसार है…
पसंद करेंपसंद करें
Dhanywaad ..
पसंद करेंपसंद करें
बहुत खूब…
बहुत ही बेहतरीन मनभावन गजल…
🙂
पसंद करेंपसंद करें
Bahut-Bahut Dhanywaad …
पसंद करेंपसंद करें
मजहब तो कहता प्यार कर पर सुने है कौन
इस प्यार की बात पर कुछ नवल मैं लिखूँ।– बेहतरीन गजल..
latest post केदारनाथ में प्रलय (२)
पसंद करेंपसंद करें
Dhanywaad ..
पसंद करेंपसंद करें
Reblogged this on Life iz Amazing.
पसंद करेंपसंद करें
ज़माने से छुपाने को संभल-संभल मैं लिखूँ
वाह..
पसंद करेंपसंद करें
इंदु जी बेहद सुन्दर लिखा है!
लगता है कि प्रत्येक शब्द का चयन करने में काफी मशक्कत की है!
साधुवाद!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
पसंद करेंपसंद करें
इक रोज़ तो मिला था वो आप ही खुद से
उस रोज़ को खोजकर फिर धवल मैं लिखूँ।
गागर में सागर
पसंद करेंपसंद करें