न चाह है कोई न ही कोई अपेक्षा
खुशी के लिये बस लिखते हैं हम
न उन्हें है खबर न उनसे गिला
मिलता क्या सुकूं,जो लिखते हैं हम
घुमड़ता सा मन है,ये चंचल पवन
मंद पुरवाई में बैठ फिर सोचते हैं हम
फैला है विस्तार सा जीवन यहाँ
बस समेट लाने को पिरोते हैं हम
जब भाव खोजते हैं,तब शब्द बोलते हैं
शब्दों के रंगों को भरते हैं हम
लिखने की चाह न छूटे कभी
मन झंझोड़ने को अपना,लिखते हैं हम…
लिखते हैं हम
Filed under कविता
फैला है विस्तार सा जीवन यहाँ
बस समेट लाने को पिरोते हैं हम
आपके शब्दों का विस्तार अनंत है…..लाजवाब
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जब भाव खोजते हैं,तब शब्द बोलते हैं ……
bahut acchi pankti …… badhayee
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कुछ भी कहो
दिल की बात
बताते हो तुम
क्या है मन में
बिना लाग लपेट
कहते हो तुम
अहसास नहीं तुमको
कितने मनों को
झंझोड़ते हो तुम
कितने दिलों को
निरंतर लुभाते
हो तुम
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‘Ghumadta’….wonderfully expressive! Very nice Indu…:)
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“….लिखने की चाह न छूटे कभी
मन झंझोड़ने को अपना,लिखते हैं हम…” kya baat hai kitni saralta se aapne mano mere dil ki bhi kah di..bohut hii sundar
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एक छोटे से झंरोखे से आपके शब्दों की दुनिया निहारते रहे |
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जब भाव खोजते हैं,तब शब्द बोलते हैं
मिलता क्या सुकूं,जो लिखते हैं हम
Bahot khub
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“खुशी के लिये बस लिखते हैं हम” … absolutely … do it for its love and everything will follow … perfect …
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लिखने से मन हल्का होता है!
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शब्दों का ये रूप कभी इतना कुरूप हो जाता है
भावों के प्रतिकूल कभी एक भाव स्वरुप हो जाता है
तब लिखने से अबला चपला , मन का ये कूप घबराता है
तब समझ न आता जीवन में क्यूँ लिखना कुछ ये जरूरी है
जब शब्द बने हो मधुर जाल , क्यूँ फंसना कुछ मजबूरी है ….
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लिख लेने से मन हल्का होता है, लिखती रहें।
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Fourth last line is superb…
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इश्वर की अनुकंपा है , जो भावनाओंको शब्दोंमे लिख पाते है तुम और हम ,
जिन भावनाओंको ना मिले शब्द , क्या दुनियाने कभी जाना है उनका गम ?
जैसे हमारे ब्लॉग पर ,आपकी टिप्पणी का इंतज़ार करते बैठे है, कबसे हम ,
विपरीत उसके सुन्दर कविता के लिएँ आपकोबहोत बधाइयाँ देते है, दिलसे हम |
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bas yahi ek likhna hi to hai jo hame ek dusre se jode hue hai.kaha aap dilli me kaha me mumbai.par fir bhi jab aap likhti hai to hamare dil tak pahunch jata hai aur jab main likhti hu to aap aakar padh leti hai.itna door hone ke baad bhi is likhne ne hame pass kar diya.
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Very interesting…thanks for sharing..lovely blog..!!
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kitni khoobsoorat kavita likhi hai…purvaai jaisa kuch chhoo gaya man ko abhi!
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स्वान्तः सुखाय:उत्कृष्ट लेखन
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लगे रहिये… लिखते रहिये और खुश रहिये!!
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Thanks to all of you….
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Very sweet poem Indu
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Indu they are exactly the feeling of a new blogger like me, who doesn’t why they are writing for whom are writing but they just do because they like it. Love it.
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Bus tum yoon hi likhti raho aur hum yoo hi padte rahe..Now I know why poets write 🙂
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खुशी के लिये लिखना – अच्छा लगा। मानो तुलसी कह रहे हों – स्वांत: सुखाय!
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खुशी के लिये बस लिखते हैं हम
that is why I write what I write
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great efforts
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