दिल आज बस ये चाहे
कि चाह बन जाऊँ
गर मिल सको तुम
तुम्हें गले लगाऊँ
वेदना है जितनी
सब समेट लाऊँ
आँचल में तुम्हें
कुछ इस तरह छिपाऊँ
दर्द को तुम्हारे मै स्वयं पी जाऊँ
जानती हूँ नीम हूँ मैं
नहीं और कोई
फिर भी तुम्हारे लिए कृष्ण मैं बन जाऊँ……
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चाह बन जाऊॅं
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