सर्द दोपहर में
बालकनी का वह कोना
जहाँ सूरज अपना छोटा-सा घर बनाता है
अच्छा लगता है
हर पहर के साथ
खिसकता हुआ वह घर जीवन पथ पर
चलना सिखाता है
हो कितनी ही ठण्ड
पर उसकी गर्म सेंक
सुकून देती है।
है जीवन भी ऐसा कभी सर्द तो कभी गर्म
हर कोने की सर्दी को सेंक देना है
हर गर्म घर को शीतल कर देना है
वो सूरज की किरणों का
छोटा-सा घर
सब की बालकनी में एक कोना ।
सर्द दोपहर में
Filed under कविता
garmee kahin bhee mile achhee lagtee
chaahe baalkanee mein ,chaahe rishton mein
nice thoughts as usual
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यह सूरज तो सबके घर का होता है –
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bahut achche:) very warm….and nice….:)
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LOVELY 🙂
DeePaK
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बहुत खूब ।
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this is a beautiful heartfelt poem ..
sadly here in uk its so coldddddddddddddddddd need tht sun here send it over please 🙂
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हमारी बालकनी पर धूप बस सुबह थोड़े से समय के लिए आती है. पर अपने भीतर भी क्या कोई बालकनी है? क्या वहाँ पर धूप आती है कभी?
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सर्दी का वह सूरज बड़ा प्यारा लगता है, एक सुकून सा।
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बालकनी में सूरज की लुकाछिपी ..और जिंदगी के धुप छांव का ये तुलनात्मक वर्णन …बहुत सुन्दर …भा गया दिल को….
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बहोत खूब |
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वोह देल्ही की सर्दी मैं, बालकोनी और घर के कोनों, और छत पर सूरज की लुका छिप्पी, बचपन बीता इन लम्हों मैं…आज परदेश मैं वोह गुलाबी सी सर्दी जब भी आती हैं….देश याद आता हैं..बचपन याद आता हैं….शायद शब्दों मैं नहीं लिख सकती की क्या महसूस होता हैं…पर आप की इन चंद पंक्तियो ने फिर से मुझे उन पलो को जीने दिया….धनयवाद
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woh suraj ki kirno ka chhota sa ghar aap ki zindagi me hamesha ho, yehi dua hai hamari 🙂
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few days back i read a similar post about the hardship a home has to face in different climate different seasons just to protect its inmates…
well written poem Indu
rahul
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sahi likha aapane
bahut sahi aakalan
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Suraj ki jeevan yatra pasand aayi
Ehsaas, rishton aur suraj bhari post share karne ke liye bahot bahot shukriya
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lovely writeup for a small luxury in life..
Eagerly waiting for weekends to bask on that small balcony of my room… 🙂
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excellent
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हिंदी आजकल बहुत महेंगी हो गयी है I अत्युत्तम कविता
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सशक्त उम्दा रचना….
शब्दों की कारीगरी कोई आप से सीखे
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Bahut Badhiya!
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http://suvarnlife.wordpress.com
nice blog..
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“जीवन भी ऐसा,कभी सर्द तो कभी गर्म” – बहुत सुन्दर. सूरज का घर बालकनियों में आबाद रहे.
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waah bahut achi h ye kavita… it is very nice… so simply u have penned it that is fantastic… i m so much pleased that i m going to share this on facebook,,, its mindblowing…
regards,
ashish kumar
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Very nice!! Looks like nobody can remain unaffected by the winter sun, I posted about the winter sun too today 🙂
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सूरज की किरणों का छोटा सा घर
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बेहतर…
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Beautiful analogy and a great way of expressing your perspective.
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nice.
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